छात्रों ने सस्टेनेबल विकास में योगदान देने के लिए स्वदेशी ज्ञान से आत्मनिर्भर जीवन के गुर और कौशल सीखे
पुणे के छात्रों ने जनक पलटा मगिलिगन से स्वदेशी ज्ञान से आत्मनिर्भर जीवन के गुर और कौशल सीखे
ज्ञान प्रबोधिनी गुरुकुल, निगड़ी (पुणे) के “मातृभूमि परिचय शिविर” के अंतर्गत छात्रों का समूह समाजसेवा, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के कार्यों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त इंदौर जिले के सनावदिया गाँव शैक्षणिक यात्रा पर आए । प्रवास के दौरान विद्यार्थियों ने पद्मश्री जनक पलटा मगिलिगन द्वारा संचालित पर्यावरण संरक्षण एवं सतत जीवनशैली पर आधारित जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्रकल्प का भ्रमण किया।
जनक ताई ने अत्यंत स्नेहपूर्वक विद्यार्थियों का स्वागत किया और अपने सेंटर में चलते हुए उर्जा, वर्षाजल ,संचयन, जैविक खेती, सोलर कुकिंग और सोलर ड्रायर के उपयोग से सस्टेनेबल भोजन , रासायनमुक्त रंग, जैवविधिता , कचरामुक्त ,बाज़ारमुक्त जीवन दिखाया कि इसके परिवार और समुदाय के प्राकृतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं । जनक ताई ने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार जीवन जीने के साक्षात प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए । छात्रों ने सस्टेनेबल विकास में योगदान देने के लिए स्वदेशी ज्ञान से आत्मनिर्भर जीवन के गुर और कौशल सीखे । उन्होंने, पूरे मनोयोग से जनक ताई की समझाई बातें सुनीं और उनके प्रकल्प का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। संयम से प्राकृतिक, सात्विक , स्वस्थ सम्पन्न जीवन सीखा । छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में अपने योगदान के विषय में भी विचार-विमर्श करते हुए ताई के जीवन में धैर्य, समर्पण, दृढ़ता अथक, निर्भीक, साहसी और सहज महसूस किया।
"इस अविस्मरणीय भेट के आयोजन एवं समन्वय में श्रीमती वृषालीताई पंडित का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। उनके मार्गदर्शन और सतत प्रयत्नों से यह शैक्षणिक संवाद संभव हो सका। ज्ञान प्रबोधिनी के विद्यार्थियों के इस इंदौर प्रवास ने उन्हें यह अनुभव कराया कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व कितने महत्वपूर्ण आयाम हैं। जनक ताई का यह कार्य विद्यार्थियों के लिए न केवल शिक्षाप्रद बल्कि अत्यंत प्रेरणादायक भी सिद्ध हुआ।" इन शब्दों से समूह के समन्वयक शुभम गायकवाड़ ने स्नेहपूर्वक आभार व्यक्त किया ।

