कला के रंग प्रकृति के संग , कहते कहानी रंगों की जुवानी
कला के रंग के समापन पर मधुबनी पर डेमो वर्कशॉप

कला के रंग के समापन पर मधुबनी पर डेमो वर्कशॉप
कला के रंग प्रकृति के संग , कहते कहानी रंगों की जुवानी
इंदौर
दो दिवसीय कला प्रदर्शनी कला के रंग का समापन रविवार को हुआ । क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी के समापन पर वरिष्ठ कलाकार अलका झा ने मधुबनी आर्ट पर जानकारी दी एवं डेमो दिया । उन्होंने बताया मधुबनी पेंटिंग चित्रकला के रूप में ज्ञान की एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसे मिथिला पेंटिंग के रूप में भी जाना जाता है ।
मधुबनी पेंटिंग दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग में से एक है यह मिथिला क्षेत्र की वह लोकप्रिय कला है जो वहां के लोगों की रचनात्मकता और संवेदनशीलता को दर्शाती है यह सदियों पुरानी कला उंगलियां , टहनियां ,ब्रश , पेन, माचिस की तीलियों के साथ प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाई जाती है । जिसे एक आकर्षक ज्योमैट्रिकल पैटर्न की सहायता से बनाया जाता है ।
मधुबनी पेंटिंग की 6 दिनी बेसिक से एडवांस सर्टिफाइड वर्कशॉप 3 मई से 8 मई तक संस्था आर्टवे और क्रिएट स्टोरीज द्वारा अभिनव कला समाज गांधी हॉल में आयोजित होगी जिसमे पहले से रजिस्टर कर भाग ले सकते है ।
आर्टिस्ट ज्योति उपाध्याय ने कला प्रदर्शनी पर एक कविता सांझा की –
कला के रंग प्रकृति के संग ,
कहते कहानी रंगों की जुवानी ,
धरा का आधिपत्य अंतस् की कहानी ।
कृति का सानिध्य ईश आतिथ्य ,
महक रहा हर कोण हो भाव विभोर ।
ब्रह्म चेतना फैली हर ओर
रचयिता का नहीं कोई ओर छोर ।
हर क्षण रंगों का आयोजन
सार्थक होता रंग विनियोजन ।